Monday, July 18, 2011

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કિસ્સો  કેવો સરસ મજાનો છે ,
બેઉ વ્યક્તિ સુખી થયાનો છે
પલડું તારી તરફ નમ્યાનો તને,
મુજને આનંદ ઉપર ગયાનો છેં....

Khalil Dhantejvi

Chot par Chot Sahi, Muhse to kuchch Kaha hi Nahi,
Lekin ye na Samajna ki Dil Dukha hi Nahi,
Jo hua wo Kisi Akhbar me Chchapa hi Nahi,
Jo Chchap Gaya, Aisa to Kuchch Hua hi Nahi....

Kaun Kisko

Kaun Kisko Dilme Jagah Deta Hai,
Ped bhi Sukhe Patte Gira Deta Hai,
Wakif Hai hum Duniyake Rasmo Riwazose,
Ruk jaye Sanse to Apnahi koi Dafna Deta Hai....!!!

Thursday, January 1, 2009

EMOTIONS

लागणी मारी गति-मति छे, लागणी मारो देश
बुद्धि ने हु कही दऊ छू, तू तो मूंगी बेस

फरियाद

फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाहें
देखे हुए किसीको एक ज़माना गुज़र गया है।

"जौहर'

दौरे हयात आएगा कातिल कज़ा के बाद
है इप्तिदा हमारी तेरी इम्तिहा के बाद,
तुजसे मुकाबिले के किसे ताब है वले
मेरा लहुभी खूब है तेरी हीना के बाद।

"आयुष्य "

तिथे क्षितिजाशि चाले दोन रंगांची लढाई
थोड़ी पश्चीमेची लाली थोडी मुळची नीळाई
ओल्या रेतीत रुतले शंख आणिक शिम्पले
पुढे लाटा मोजताना मागे आयुष्य संपले....

'कतिल'

तुम्हारी अंजुमन से उठ कर दीवाने कहाँ जाते
जो वाबस्ता हुए तुमसे वो अफ़साने कहाँ जाते।
निकलकर देशे - काबा से अगर मिलता न मैखाना
तो ठुकराए हुए इंसा खुदा जाने कहाँ जाते।
तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली बादाखाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वरना हम झमाने-भर को समझाने कहाँ जाते।
'कतील' अपना मुकद्दर गम से बेगाना अगर होता
तो फ़िर अपने पराये हम से पहचाने कहाँ जाते।

आमीन ई. झीना

कोई अबतक समझ न पाया है,

झिंदगी धुप है या साया है

एक शोला जो बुझने वाला था,

तेरी यादोने फ़िर जलाया है।

वरना आखों में अश्क क्यूँ आते,

कोई अफसाना याद आया है।

झिन्दगानी का एक एक लम्हा,

साथ में गम हझार लाया है।

बाद मुद्दत के एक पल के लिए

मैंने 'आमीन ' उसे भूलाया है।

Wednesday, December 31, 2008

संभंध

शु करू क्याथी उकेलु केवो आ संबंध छे
तू लखे छे ब्रेल माँ ने हाथ मारो अंध छे

चाहत

चाहवामा हुफ़ छे अमुक मात्रा सूधी
ते पछी तो आडेधड दझातु होय छे

समय

समयनो सादो नियम छे के ऐ अटकतो नथी
नियम छे सादो प्रेमनो के ऐ टकतो नथी

मौत

मौतनु निश्चित गणित छे एटले
जिववामा हु जरा गाफेल छू

PAST

evu nathi ke pahela samaan preet nathi,
pan malu hu tamane ema tamaru heet nathi....

Tuesday, December 30, 2008

Diwali

आपण दोघे मिळूनी काढू रांगोळी आपुल्या द्वारी,
कधी येइल अशी सांगना सखे आपुली दिवाळी ???

AMIN E. ZINA

आखों को बंध करलो फ़िर अपने कान खोलो
पहेलों तो सुनलो सबको फ़िर तुम जुबां खोलो।
सबकी दुकान बंध है, इस बात पर न जाओ
तुम उठ्ठो और उठकर अपनी दुकान खोलो।
खौफे खुदा से बस्ती बेध्यान हो चली है
इबरत की बातें करके बस्ती का ध्यान खोलो।
इंसानियत की बातें दोनों बता रहे है
गीता को चाहे खोलो, चाहे कुरान खोलो।
अब ये जहा तो आमीन नफरत से भर गया है
जिसमे हो प्यार उल्फत ऐसा जहाँ खोलो।