Saturday, March 20, 2021

My Interests and hobby is Sketching, sharing a few here done by me



અમે અમારી રીત પ્રમાણે રાતો ને અજવાળી છે,

તમે ઘરે દીવો સળગાવ્યો અમે જાતને બાળી છે.


દર તહેવારે જીદે ચડતી ઈચ્છાઓ પંપાળી છે,

મનમાં ભીતર હોળી સળગે, ચહેરા પર દિવાળી છે.

 રગ રગ ને રોમ રોમ થી તૂટી જવાય છે

તો પણ મઝાની વાત એ છે કે જીવી જવાય છે...


વરસાદ પણ શું કરી શકે ને છત્રી પણ શું કરે, 

બીજાને કોરો રાખવામાં પલળી જવાય છે.

 मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ 

वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ 


एक जंगल है तेरी आँखों में 

मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ 


तू किसी रेल-सी गुज़रती है 

मैं किसी पुल-सा थरथराता हूँ 


हर तरफ़ ऐतराज़ होता है 

मैं अगर रौशनी में आता हूँ 


एक बाज़ू उखड़ गया जबसे 

और ज़्यादा वज़न उठाता हूँ 


मैं तुझे भूलने की कोशिश में 

आज कितने क़रीब पाता हूँ 


कौन ये फ़ासला निभाएगा 

मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ


 काफ़ी नहीं तुम्हारा ईमानदार होना

भैया बड़ा ज़रूरी दूकानदार होना


है वक़्त का तकाज़ा रौ में शुमार होना

मक्खन किशोर होना चमचा कुमार होना


सौजन्य का कदाचित तू मत शिकार होना

सब चाहते हैं वरना तुझ पर सवार होना


चुल्लू में डूबने का अब लद चुका ज़माना

उल्लू से दोस्ती कर क्या शर्मसार होना


लँगड़ा रही है भाषा, कितना अजब तमाशा

घटिया तरीन जी के उँचे विचार होना


 मेरी सांसो मे समाया भी बहोत लगता है,

और वही शखस पराया भी बहोत लगता हैं


उससे मिलने की तमन्ना भी बहोत हैं,

लेकीन आने जाने मे किराया भी बहोत लगता है.

झुबा तोह खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे,

मैं कित्नी बार लुटा हु मुझे हिसाब तो दे.


तेरे बदन की लिखावट मे है उतार चढाव

मैं तुजको कैसे पढुंगा, किताब तो दे.

 कूछ नही बदला, दिवाने थे दिवाने ही रहे,

हम नये शहोरे मे रहकर भी पुराने ही रहे.


दीलकी बस्ती मे, हजारों इंकलाब आये मगर,

दर्दके मौसम सुहाने थे, सुहाने ही रहे.


हमने अपनिसी बहोत की, वो नहि पिघला कभी,

उसके होठो पर, बहाने थे बहाने ही रहे.